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कोविड वैश्विक चुनौती बना हुआ है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के अनुसार हम बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं

कोविड के साथ रहते हुए हमने चौथे साल में प्रवेश कर लिया है और हम सभी के मन में एक ही सवाल आता है कि महामारी कब खत्म होगी? इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें याद रखना होगा कि महामारी पूरी दुनिया में किसी बीमारी का प्रकोप होता है जिसमें वैश्विक स्तर पर आपात प्रतिक्रिया की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रस अधानोम घेब्रेयेसस ने इस सप्ताह घोषणा की थी कि कोविड अब भी अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपदा बना हुआ है। जैसा कि घेब्रेयेसस ने कहा है, हमारे सामने अब भी अहम चुनौतियां हैं जिसमें कई देशों में संक्रमण की उच्च दर, वायरस के नये स्वरूपों का खतरा और लंबे समय तक कोविड का अज्ञात प्रभाव शामिल है। कोविड को लेकर लोगों तक सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े संदेश भेजना मुश्किल है, वहीं गलत सूचनाएं लगातार फैल रही हैं। इसके अलावा कई देशों ने कोविड की जांच और निगरानी को प्राथमिकता देना बंद कर दिया है, इसलिए हमारे पास संक्रमण के प्रसार को लेकर सही-सही आंकड़े नहीं हैं।

हम अब भी कोविड के खिलाफ हमारी कार्रवाई को लेकर आपात स्थिति में हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी माना है कि हम बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। इसका आशय हुआ कि हम कोविड पर अपनी प्रतिक्रिया के ‘रोग नियंत्रण’ चरण की ओर बढ़ रहे हैं और वायरस के साथ जीना सीख रहे हैं। हम किस ओर जा रहे हैं? कोविड के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया चरण से बाहर निकलने का मतलब कोविड को अनदेखा करना या मार्च 2020 से पहले जैसे अपने जीवन की ओर लौटना नहीं है। बल्कि, हमें कोविड के साथ जीना सीखने की आवश्यकता है। कोविड के साथ रहने का मतलब है कि हम कोविड के लिए उचित रोकथाम और नियंत्रण उपायों को लागू करें। ऐसा ही हम अन्य संक्रामक रोगों के लिए करते हैं, जिनमें अन्य श्वसन संबंधी रोग भी शामिल हैं।

कोविड के जोखिम को कम करने के लिए हम जो सबसे प्रभावी काम कर सकते हैं, वह है पूरी तरह टीकाकरण और बूस्टर खुराक को अपनाया जाए। कोविड टीके संक्रमण को पूरी तरह से खत्म नहीं करते हैं, लेकिन वे आपके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना को बहुत कम कर देते हैं। हम उच्च-जोखिम वाली जगहों पर मास्क लगाकर, अच्छे हवादार स्थानों पर सामाजिक मेलजोल करके और अस्वस्थ होने पर दूसरों से दूर रहकर भी कोविड के प्रसार की संभावना को कम कर सकते हैं। कोविड के साथ रहने में सरकार द्वारा बीमारी के प्रसार की निगरानी करने और संक्रमण को रोकने, नियंत्रित करने एवं प्रतिक्रिया देने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों को जारी रखना भी शामिल है। बदलाव कैसे आया? हम परिवर्तन के दौर में प्रवेश कर चुके हैं क्योंकि कोविड से जुड़ा जोखिम भी परिवर्तित हुआ है। पहले से उच्च स्तर के संक्रमण और सुरक्षित एवं प्रभावी टीकों के साथ हमने जनसंख्या के स्तर पर रोग प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत किया है और कोविड संक्रमण के गंभीर बीमारी में बदलने की संभावना बहुत कम है।

कम संक्रामक स्वरूपों (अभी के लिए) के सामने आने और कई प्रभावी उपचार विकल्पों के साथ इसने कोविड से स्वास्थ्य को होने वाले पूरे खतरे को कम कर दिया है। अभी हम जिस स्थिति में हैं, वह उस महामारी की शुरुआत से बहुत अलग है। महामारी के इस बदलाव वाले दौर का एक मुख्य लक्षण कोविड को लेकर जोखिम आधारित प्रयासों की ओर बढ़ना है। सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में समुदाय में कोविड के प्रति सबसे संवेदनशील लोगों को ध्यान में रखा जाएगा। इसका मतलब है कि बुजुर्गों का अच्छी तरह ध्यान रखा जाए क्योंकि उन्हें उम्र संबंधी समस्याओं के साथ कोविड का अधिक खतरा होता है। क्या चुनौतियां सामने आ सकती हैं? संक्रमण के इस चरण से गुजरते हुए अगले चरण की ओर एक सुगम मार्ग इस बात पर निर्भर है कि पूरी आबादी की रोग प्रतिरोधक क्षमता का उच्च स्तर बनाकर रखें। कोविड का खतरा घटने के बीच टीकाकरण को बढ़ावा देना भी एक सबसे बड़ी चुनौती है।

दुनियाभर में बूस्टर खुराकों को अधिक से अधिक लिया जाए, यह सुनिश्चित करना भी एक कठिनाई है। इस समय स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए मुख्य चुनौती यह है कि एक ओर, कोविड के जोखिम में कमी को स्वीकार करना, वहीं दूसरी ओर, यह सुनिश्चित करना कि लोग आत्मसंतुष्ट न हों और कोविड को पूरी तरह से अनदेखा न करें। स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिकारी भी बहुत थकी और फैली हुई स्वास्थ्य प्रणालियों को दुरुस्त करने का प्रयास कर रहे हैं। तो, यह कब समाप्त होगा? डब्ल्यूएचओ का यह मानना कि हम महामारी के लिहाज से बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं, का मतलब है कि हम महामारी के अंत की ओर एक कदम और बढ़ रहे हैं। लेकिन जब महामारी जोरदार तरीके से शुरू होती है, तो आसानी से समाप्त नहीं होती। जैसे-जैसे लोग और पूरी आबादी धीरे-धीरे अपना जीवन अधिक ‘सामान्य’ तरीके से जीने लगेगी, वैसे-वैसे महामारी धीमी पड़ने लगेगी, क्योंकि उनका जोखिम बदल जाता है। यह बड़ी जटिल बात हो सकती है क्योंकि देश महामारी के आपातकालीन प्रतिक्रिया चरण से अलग-अलग समय पर बाहर निकल रहे हैं। इसलिए कह सकते हैं कि महामारी खत्म नहीं हुई है लेकिन इसका अंत नजर आ रहा है।

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