हेल्पेज इंडिया ने वरष्ठि नागरिकों को डिजिटल रूप से सुरक्षित करने के उद्देश्य से गूगलडॉटओआरजी की अनुदान सहायता से अपने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम, ‘प्रोजेक्ट सुरक्षित’ की मंगलवार को शुरुआत की। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य वरष्ठि नागरिकों को इस कदर सशक्त बनाना है ताकि वो ऑनलाइन धोखाधड़ी और घोटालों से स्वयं को बचा सकें। आज ‘सुरक्षित इंटरनेट दिवस’ मनाते हुए, हेल्पेज इंडिया ने 1000 से अधिक वरष्ठि नागरिकों को एक साथ प्रशिक्षित करने के लिए 16 राज्यों में डिजिटल सुरक्षा कार्यशालाओं की एक श्रृंखला शुरू की। देश में अपने तरह के पहले आयोजन के रूप में, वरष्ठि नागरिक संघों के समन्वय से आयोजित ये कार्यशालाएं, वरष्ठि नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा पर आवश्यक प्रशक्षिण प्रदान करती हैं, उन्हें सुरक्षित तरीके से इंटरनेट चलाने और ऑनलाइन डिजिटल सुविधाओं के लाभों की तलाश करने के लिए महत्वपूर्ण कौशल से लैस करती हैं। हेल्पेज का उद्देश्य इस असुरक्षित समुदाय के बीच अधिक जागरूकता लाना है ताकि बुजुर्गों को सामान्य रूप से होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ियों की पहचान करने और उनसे बचने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान कर तैयार किया जा सके।
कार्यशालाओं में अनुकूलित पाठ्यक्रम शामिल है जिसमें सात मॉड्यूल हैं, जो विभन्नि ऑनलाइन सुरक्षा विषयों पर मार्गदर्शन देते हैं जैसे: मजबूत पासवर्ड बनाना, ऑनलाइन बैंकिंग करते समय सुरक्षित रहना, उपयोगिता बिलों का ऑनलाइन भुगतान सुरक्षित रूप से करना, अपने डिवाइस की सुरक्षा करना, ऑनलाइन धोखाधड़ी को पहचानना, व्हाट्सएप पर सुरक्षित रहना और सुरक्षित रूप से ऑनलाइन कैब बुक करना। ऑनलाइन भुगतान, दैनिक उपयोग वाली वस्तुएं ऑर्डर करने, बैंकिंग और खरीदारी जैसी डिजिटल सेवाओं के तेजी से विकास के साथ बुजुर्गों की ऑनलाइन असुरक्षा बढ़ गई है। डिजिटल तकनीक को देर से अपनाने वाले बुजुर्गों को ऑनलाइन जालसाजों के लिए आसान लक्ष्य माना जाता है। वरष्ठि नागरिक संघ की सदस्य, सुश्री अरुणा गुप्ता (61) बताती हैं, ह्लये प्रशक्षिण कार्यशालाएँ आवश्यक हैं; बढ़ती ऑनलाइन धोखाधड़ियों को देखते हुए हम वरष्ठि नागरिकों के लिए वर्तमान समय में उनकी आवश्यकता है।
विशेष रूप से स्वयं के लिए, मुझे अपने फोन पर किसी भी लिंक को छूने में बहुत डर लगता है, इस बात का भय सताता है कि कहीं इस पर क्लिक करते हुए मेरे बचाए हुए पैसे जालसाजी की भेंट न चढ़ जाएं। हेल्पेज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित प्रसाद बताते हैं, ह्लमहामारी ने बुजुर्गों के लिए डिजिटल तकनीक को अपनाने की आवश्यकता को सबसे जरूरी बना दिया। मौजूदा समय में, डिजिटल साधनों से दूर रहना संभव नहीं है; न केवल महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाओं को हमारे स्मार्टफोन से जोड़ा जा रहा है, बल्कि हमारी दैनिक जरूरतों और आवश्यकताओं जैसे कि किराने का सामान ऑर्डर करना, ऑनलाइन बिलों का भुगतान करना, इंटरनेट बैंकिंग आदि को भी इससे जोड़ा जा रहा है।
मानसिक रूप से सक्रिय और स्वस्थ रहने के लिए सामाजिक संबंध भी अनिवार्य हैं, क्योंकि लॉकडाउन ने हमारे बुजुर्गों के अत्यधिक अलगाव और दूरी को सामने ला दिया है। जबकि युवा पीढ़ी के लिए इसे अपनाना आसान रहा, लेकिन अनेक वरष्ठि नागरिकों को इस अचानक बदलाव के अनुरूप खुद को ढालने में समस्या हो रही थी। इसने उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी और जालसाजियों को लेकर अधिक असुरक्षित बना दिया है। ‘प्रोजेक्ट सुरक्षित’ के माध्यम से, हेल्पेज इंडिया बुजुर्गों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश कर रहा है और डिजिटल खाई को पाटने की उम्मीद करता है, ताकि कोई भी बुजुर्ग पीछे न छूटे और न ही असुरक्षित रहे। गूगलडॉटओआरजी के हेड ऑफ एडवोकेसी एंड एशिया पैसिफिक एन्नी लेविन ने बताया, ह्लहर दिन, लाखों भारतीय जीवन के हर क्षेत्र में अवसरों का पता लगाने के लिए वेब का उपयोग करते हैं। जबकि यह अनुभव लाखों लोगों के लिए सहज है, किंतु यह हमारे परिवारों के बुजुर्गों के लिए परेशानी भरा है।
वरष्ठि नागरिक ऑनलाइन जोखिम को लेकर अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि वो प्रौद्योगिकी का उतनी सहजता से उपयोग कर पाने में असमर्थ होते हैं। गूगलडॉटओआरजी को प्रोजेक्ट सुरक्षित पर हेल्पएज इंडिया का समर्थन करने और देश भर में वरष्ठि नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण डिजिटल सुरक्षा प्रशक्षिण और जागरूकता लाने के प्रयास पर गर्व है। डिजिटल सुरक्षा कार्यशाला इस कार्यक्रम के जरिए वरष्ठि नागरिकों के लिए सामाजिक भागीदारी और समावेशन बढ़ाने, और इस प्रकार उनके ऑनलाइन आत्मवश्विास को अधिक दृढ़ करने में पहला कदम है। हेल्पेज इंडिया की हेड कम्यूनिकेशंस और मिशन हेड (डिजिटल लिटरेसी प्रोग्राम) सोनाली शर्मा ने बताया,ह्लहम देश भर में वरष्ठि नागरिक संघों के साथ और उनके लिए काम करते हैं, और बुजुर्गों द्वारा अपनाए जाने वाले डिजिटल सुरक्षा उपायों की बढ़ती आवश्यकता को महसूस करते हैं। वरष्ठि नागरिक ऑनलाइन जालसाजियों के शिकार होकर अपनी गाढ़ी कमाई खो सकते हैं।
हमें उन्हें इन धोखाधड़ियों का पता लगाने और उनकी पहचान करने और निवारक उपाय करने संबंधी जानकारी प्रदान कर सशक्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि उनका पैसा सुरक्षित रहे और वे सुरक्षित तरीके से डिजिटल दुनिया का भरपूर आनंद ले सकें। ‘सुरक्षित इंटरनेट दिवस’ पर कार्यशालाएं दल्लिी, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आयोजित की गयीं।