परोपकार का बदला|Revenge of charity hindi story

एक सज्जन स्वभाव के व्यक्ति महान विद्वान् थे जो अपनी करुणता एवम परोपकार के लिए माने जाते थे | वे एक जाने माने कॉलेज के प्रोफ़ेसर थे और शिक्षा का दान देने के लिए सदैव तत्पर रहते थे | जरुरत पडने पर वे शिक्षा के लिए छात्रों को धन से भी मदद करते थे | समय निकलता गया | कई छात्रों को उन्होंने पढ़ाया | बड़ी- बड़ी पोस्ट पर छात्र अधिष्ठित भी हुये | कई उन्हें याद रखते | कई भूल जाते | कई मिलने आते तो कई केवल खयालो में ही उनसे रूबरू हो जाते |

एक दिन, एक व्यक्ति उनके पास आया | वे उसे पहचान नहीं पाए | उसने कहा – मास्टर जी ! आप मुझे भूल गये होंगे क्यूंकि आपके जीवन में मेरे जैसे कई थे पर शायद मेरे जैसों के जीवन में केवल एक मात्र आप ही थे | यह सुनकर मास्टर जी मुस्कुरायें | उन्होंने उसे गले लगाया और अपने समीप बैठाया | तब उस शिष्य ने मास्टर जी से कहा – मैं जो कहने एवम् करने आया हूँ कृपया ख़ुशी- ख़ुशी मुझे वो करने की इजाजत दे और ऐसा कहकर वो हाथ जोड़ खड़ा हो गया |

तब मास्टर जी ने खुल कर मन की बात कहने को कहा | तब उस शिष्य ने कुछ रुपयों की गड्डी निकाल कर मास्टर जी के हाथ में रखी और कहा – आपको याद नहीं होगा पर आपके कारण ही मैंने अपनी BA LLB की पढाई पूरी की | अगर आप नहीं होते तो मैं भी पिता की तरह स्टेशन पर झाड़ू मारता या ज्यादा से ज्यादा झाड़ू बेचता | लेकिन आपके परोपकार के कारण आज मैं इसी शरह का बेरिस्टर नियुक्त किया गया हूँ और इस खातिर मैं आज आपके उपकार के बदले कुछ करने की इच्छा हेतु यह धन राशि आपको दे रहा हूँ |

तब मास्टर जी ने उसे समीप बुलाया और बैठाकर कहा – बेटा ! तुम मेरे द्वारा किये महान कार्य को एक सहुकारिता में बदल रहे हो |अगर तुम कुछ करना ही चाहते हो, तो इस परम्परा को आगे बढाओं | मैंने तुम्हारी मदद की, तुम किसी अन्य की करों और उसे भी यही शिक्षा दो |

यह सुनकर बेरिस्टर उनके चरणों में गिर गया और बोला – मास्टर जी ! इतना पढ़ने के बाद भी मुझे जो ज्ञान नहीं मिला था वो आज आपसे मिला | मैं जरुर इस परम्परा को आगे बढ़ाऊंगा और मेरे जैसे किसी अन्य का भविष्य बनाऊंगा |

शिक्षा

दोस्तों!,किसी सच्चे परोपकारी के उपकार का मूल्यांकन करना , उसके उपकार की गरीमा करने के बराबर होता हैं | लेकिन इसके बदले उससे सीख लेकर इस परम्परा को बढ़ाना एक सच्ची श्रद्धा हैं | अगर यह परम्परा आगे बढ़ती जाए तो देश और दुनियाँ की तस्वीर ही बदल जायें | और संसार में सदाचारी एवम परोपकारी बढ़ जायें | आज के समय में ऐसी कल्पना व्यर्थ हैं लेकिन इस तरह के प्रसंग जीवन को सही दिशा देते हैं | ऐसा नहीं हैं कि संसार में परोपकारी लोग नहीं हैं | अगर ऐसी शिक्षा किन्ही गुरु द्वारा शिष्यों को मिले तब यह कल्पना चरितार्थ हो जायें |

प्रतिदिन एक प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के लिए लिंक को क्लिक करें और मैसेज को आगे से आगे शेयर करे 🙏🙏🙏
साधु वेश की मर्यादा|dignity of monk|Hindi story

बच्चे का होमवर्क|child’s homework Hindi Story
धन्यवाद

Rate this post

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00