एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली।
चिट्टी क्यों लिखी और क्या लिखा। यह जानने से पहले संक्षेप में चिट्टी लिखने की पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है।
पिता सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए । वे लखनऊ के एक पॉश कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनके दो बेटे थे। जो सुदूर अमेरिका में रहते थे। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता ने अपने लाड़लों को पालने में कोई कोर कसर नहीं रखी। बच्चे सफलता की सीढ़िंया चढते गए। पढ़-लिखकर इतने योग्य हो गए कि दुनिया की सबसे नामी-गिरामी कार्पोरेट कंपनी में उनको नौकरी मिल गई। संयोग से दोनों भाई एक ही देश में,लेकिन अलग-अलग अपने परिवार के साथ रहते थे।
एक दिन अचानक पिता ने रूंआसे गले से बेटों को खबर दी। बेटे! तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं रही । पिता अपनी पत्नी की मिट्टी के साथ बेटों के आने का इंतजार करते रहे। एक दिन बाद छोटा बेटा आया, जिसका घर का नाम चिंटू था।
पिता ने पूछा चिंटू! मुन्ना क्यों नहीं आया। मुन्ना यानी बड़ा बेटा।पिता ने कहा कि उसे फोन मिला, पहली उडान से आये।
धर्मानुसार बडे बेटे का आना सोच वृद्व फौजी ने जिद सी पकड़ ली।Mind Power
छोटे बेटे के मुंह से एक सच निकल पड़ा। उसने पिता से कहा कि मुन्ना भईया ने कहा कि, “मां की मौत में तुम चले जाओ। पिता जी मरेंगे, तो मैं चला जाऊंगा।”
कर्नल साहब (पिता) कमरे के अंदर गए। खुद को कई बार संभाला फिर उन्होंने चंद पंक्तियो का एक पत्र लिखा। जो इस प्रकार था-
प्रिय बेटोMind Power
मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा। दुनिया के सारे सुख दिए। देश-दुनिया के बेहतरीन जगहों पर शिक्षा दी। जब तुम्हारी मां अंतिम सांस ले रही थी, तो मैं उसके पास था।वह मरते समय तुम दोनों का चेहरा एक बार देखना चाहती थी और तुम दोनों को बाहों में भर कर चूमना चाहती थी। तुम लोग उसके लिए वही मासूम मुन्ना और चिंटू थे।
उसकी मौत के बात उसकी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने लिए मैं था। मेरा मन कर रहा था कि काश तुम लोग मुझे ढांढस बधाने के लिए मेरे पास होते। मेरी मौत के बाद मेरी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने के लिए कोई नहीं होगा।
सबसे बड़ी बात यह कि मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि अपनी मां के साथ मुझे भी निपटाकर ही जाओ। मुझे जीने का कोई हक नहीं क्योंकि जिस समाज ने मुझे जीवन भर धन के साथ सम्मान भी दिया, मैंने समाज को असभ्य नागरिक दिये। हाँ अच्छा रहा कि हम अमरीका जाकर नहीं बसे, सच्चाई दब जाती।
मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरे मैडल तथा फोटो बटालियन को लौटाए जाए तथा घर का पैसा नौकरों में बाटा जाऐ। जमापूँजी आधी वृद्ध सेवा केन्द्र में तथा आधी सैनिक कल्याण में दी जाऐ। दुःख का कारण
तुम्हारा पिता Mind Power
कमरे से ठांय की आवाज आई। कर्नल साहब ने खुद को गोली मार ली।Mind Power
यह क्यों हुआ, किस कारण हुआ? कोई दोषी है या नहीं। मुझे इसके बारे में कुछ नहीं कहना।
हाँ यह काल्पनिक कहानी नहीं। पूरी तरह सत्य घटना है..!!
Please respect your parents