भाई दूज क्यों मनाया जाता है? सभी को मानना होगा कि भाई-बहन के बीच एक अलग तरह की समझ है। वे एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त, रक्षक, प्रशंसक और गुप्त हिस्सेदार हैं। वहीँ उन्हें एक-दूसरे से बिना शर्त प्यार होता है।
भाई-बहन के प्यार और भावनाओं को समझना बहुत मुश्किल है। वैसे तो कई ऐसे खास दिन या अवसर हैं जो भाई-बहन के प्यार को बढ़ाते हैं। लेकिन भैया दूज इसमें सबसे अलग पर्व है। इस उत्सव पर, बहनें भगवान से अपने प्यारे भाई की लंबी उम्र, कल्याण और सुख की मांग करती हैं, और भाई भी अपनी बहन की खुशहाली की मांग करता है।
क्या आप भाई दूज को क्यों मनाया जाता है? भाई दूज मनाने के पीछे कथाएँ और धार्मिक मान्यताएं हैं। यह शायद हर कोई जानता है कि भाई दूज भाई-बहन के प्रेम को बचाने का त्यौहार है।यदि कोई भाई दूज के बारे में नहीं जानता है, चिंता करने की कोई जरुरत नहीं इस लेख में हम भाई दूज क्यों मनाते हैं, कैसे मनाते हैं, आदि के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। तो चलो शुरू करते हैं।
भाई दूज का अर्थ क्या है? Bhai Dooj क्या है?What is Bhai Dooj in Hindi
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज मनाया जाता है। भाई बहनों का उत्सव है।
इस दिन बहन अपने घर में भाई को तिलक लगाकर भोजन करती है। इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु की कामना करती है। यह पर्व बहन के प्रति भाई के प्रेम का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर खाना खाता है तो उसे जीवन भर की उम्र मिलती है।
यह भी पढ़ें : 2023 में दिवाली कब मनाई जाएगी, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त, दीपावली से पहले चार चीजें घर से निकालें
नाम | भाई दूज |
अन्य नाम | भाई टीका, भाऊ बीज, भाई फोटा, भ्रातृ द्वितीया |
तिथि | बहन (अमांता) / बहन (पूर्णिमांत), पक्ष, तिथि |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
अनुयायी | हिंदू |
पालन | बहनें आमतौर पर अपने भाइयों को अपने पसंदीदा व्यंजन और मिठाइयों सहित शानदार भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं |
आवृत्ति | सालाना |
तारीख | 15 November |
भाई दूज की कहानी
यमराज और यमुना भाई बहन थे। भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया ने उनका जन्म दिया था। यमुना ने यमराज से बहुत प्यार किया था। यमुना हर बार यमराज को अपने घर भोजन करने के लिए कहती है, लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त होने के कारण हर बार मना कर देते थे।
यमुना कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमराज को अपने घर में खाने का वचन देती है। यमराज भी सोचते हैं कि मैं प्राणों को हरने वाला हूँ और मुझे कोई भी घर नहीं बुलाना चाहता, लेकिन मेरी बहन मुझे इतनी प्यार से अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती है।
उस दिन, यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं यमुना यमराज के घर पहुंचते ही स्नान करके तिलक करके भोजन कराती है।
यमराज बहन का सम्मान, स्नेह और आदर देखकर खुश हो जाते हैं और यमुना को वर मांगने का आदेश देते हैं। यमुना ने कहा, भद्र! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का सम्मान, सत्कार और टीका करके भोजन करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने यमुना को बहुमूल्य कपड़े और आभूषण देकर चले गए।
यह भी पढ़ें : ये मूंग दाल खास लड्डू प्रोटीन और फाइबर से भरपूर हैं इस रक्षाबंधन इसे जरूर ट्राई करें
भाई दूज 2023 कब मनाया जाता है?
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार हर साल दीपावली के दो दिन बाद तीसरे दिन मनाया जाता है।
यमुना ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमराज को तिलक भोजन कराया था और एक वर मांगा था. इसी दिन हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। यम द्वितीया भी कहलाता है।
भाई-बहन के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
भाई दूज 2023 में कब मनाया जाएगा?
क्योंकि भाई दूज दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है 2023 में मंगलवार, 14 नवंबर को दीपावली होगी, और बुधवार, 15 नवंबर को भाई दूज होगा।
भाई दूज को कैसे मनाया जाता है?
मान्यता है कि शादीशुदा बहनों को भाई दूज के दिन अपने घर बुलाकर नहाकर तिलक लगाकर पूजन करना चाहिए और भाई की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए। भाई को इस दिन बहन के यहां नहाना चाहिए। यदि संभव हो तो, यमुना में स्नान करें। HD LIGHTING
भाई दूज देश भर में मनाया जाता है। इसके बावजूद, हर क्षेत्र में इस उत्सव को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में बहनें अपने भाई को तिलक, अक्षत और नारियल के साथ शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ उपहार देती हैं, जबकि पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ उपहार देती हैं।
भाई दूज का महत्व
यमराज हर साल भाई दूज वाले दिन अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं। यमुना को उन्होंने आशीष दिया कि दूज वाले दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, तिलकलगवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और उसे कभी यम का भय नहीं होगा।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
माना जाता है कि इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर घर पर भोजन करती है, जो सम्मान का प्रतीक है। जब भाई अपनी बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है और बहन पूरी श्रद्धा से अपने भाई को तिलक कर भोजन कराती है, तो यमराज का भय नहीं रहता और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
माना जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर खाता है, उसे यमलोक और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई बहन इस उत्सव को विधिपूर्वक मनाते हैं, तो यमराज उसके प्राण नही हरेंगे।
यह भी कहा जाता है कि भाई दूज मनाने से भाई बहन को धन, संपत्ति और अनंत सुख मिलता है।
भाई दूज व्रत कथा
क्योंकि हर हिन्दू त्यौहार में कुछ मान्यताएं या कहानियां हैं। कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा भी भाई दूज से जुड़े हैं।
नरकासुर को मार डालने के बाद श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। जब सुभद्रा ने अपने भाई को तिलक लगाया, आरती पूजन की और पुष्पहारों से उनका आदर सत्कार किया, तब से हर वर्ष इसी तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
भाई दूज से जुड़े पौराणिक कथा
पुरानी कहानी कहती है कि इस दिन यमुना ने यमराज को अपने घर पर भोजन कराया, जिससे यमराज खुश होकर नरक से बाहर निकल गया। नरक की यातनाओं से छुटकारा पाकर हर जीव तृप्त हो गया। जब सभी जीव पाप से मुक्त हो गए और सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए, तो सभी जीवों ने मिलकर उत्सव मनाया, जो यमलोक को खुश करने वाला था।
यह तिथि यम द्वितीया कहलाती है, और इसी दिन हर साल भाई दूज पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस तिथि को जो भाई अपनी बहन के घर खाना खाता है, उसे धन और सुख मिलता है और सभी सपने पूरे होते हैं।
हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम का प्रतीक कौन से उत्सव मनाया जाता है?
रक्षाबंधन और भाई दूज हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक हैं। रक्षाबंधन में भाई बहन की रक्षा करने की शपथ लेता है और उनके जीवन भर अच्छे जीवन की कामना करता है, तो भाई दूज में बहन की लंबी आयु की प्रार्थना करता है।
भाई दूज पूजा विधि
यद्यपि हर जगह भाई दूज मनाने की अपनी अलग-अलग परंपरा और रीति-रिवाज हैं, लेकिन पुराणों और कहानियों से जो विधि-विधान है, वह यहां बताया जाएगा।
यह दिन है जब शादीशुदा बहनों को अपने भाई को अपने घर बुला लेना चाहिए। दोनों स्नान करें। इस दिन बहन के घर भी भाई को स्नान करना चाहिए। तब दोनों को नए कपड़े पहनना चाहिए।
नए कपड़े पहनने के बाद भाई को आसन पर बिठाकर तिलक लगाना चाहिए. फिर, कलावा (लाल धागा) हाथ में बांधकर मंत्रोपचार करते हुए नारियल देना चाहिए। और बहन को भाई से कुछ उपहार मिलना चाहिए। और घर के बाहर यम के नाम से चहुंमुखी दीपक जलाना चाहिए। इस दिन यमुना में नहाना पवित्र है।
भाईदूज मंत्र क्या है ?
‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें.’
भाई दूज पर्व 2023: कब है?
चलिए इस वर्ष का तिथि और मुहूर्त के बारे में जानते हैं भाई दूज का त्यौहार कब मनाया जा सकता है और मुहूर्त क्या है?
पर्व | भाईदूज |
तिथि | 15 November 2023 |
दिन | बुधवार |
तिलक मुहूर्त | 15 November दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक |
अवधि | 2 घंटे 13 मिनट |
आज आपने क्या सीखा ?
मेरी यह लेख, भाई दूज क्यों मनाया जाता है, आपको पसंद आई होगी। मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि पाठकों को भाई दूज कैसे मनाया जाता है के बारे में पूरी जानकारी दें, जिससे उन्हें किसी दूसरे वेबसाइट या इंटरनेट पर किसी लेख के सन्दर्भ में खोजने की जरूरत नहीं होगी।
इससे उन्हें सभी जानकारी एक स्थान पर मिलेगी और समय बचेगा। आप इस लेख को लेकर कोई भी प्रश्न या सुधार चाहते हैं तो नीचे टिप्पणी लिख सकते हैं। DEALS A TO Z
3 thoughts on “भाई दूज मनाया जाता है क्यों? आइये जानते हैं हिंदी में भाई दूज की कहानी!”