भारत को जी-20 की अध्यक्षता से क्या लाभ मिलेंगे, कितनी चुनौतियां होंगी और क्या तैयारी है?

जी-20 सम्मेलन अगले वर्ष 9 और 10 सितंबर को भारत में होगा। भारत की तैयारी, जी-20 की अध्यक्षता के लाभ, चुनौतियां और पुतिन की भागीदारी को जानिए।

अगले साल 9 और 10 सितंबर को देश में जी-20 सम्मेलन का आयोजन होगा। भारत गुरुवार से अध्यक्षता करेगा। इसके अलावा, तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। भारत ने इसके लिए 200 से अधिक कार्यक्रम बनाए हैं। ये कार्यक्रम देश के 50 से अधिक शहरों में होंगे। भारत के लिए जी-20 सम्मेलन अनूठा और चुनौतीपूर्ण होगा। हालाँकि, विश्व के जी-20 सदस्यों ने अभी इस कार्यक्रम का कार्यक्रम बनाना बाकी है। DEALS A TO Z

भारत ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि वह आतंकवाद और ऊर्जा संकट को रोकने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम बनाएगा। भारत इनसे निपटने का रास्ता भी दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा।

जानिए, भारत को जी-20 की अध्यक्षता से मिलने वाले लाभ, चुनौतियां, क्या पुतिन इसमें शामिल होंगे और देश की तैयारी।

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भारत को कार्यक्रम की अध्यक्षता करने से कितना लाभ होगा?

भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का मौका मिलेगा, जो भारत की विश्वव्यापी छवि को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुआत इंडोनेशिया में हुए जी-20 समिट से की थी। विभिन्न देशों से बनाए गए उत्पादों को उन्होंने विश्व के प्रसिद्ध नेताओं को तोहफे में दिया।

देश के 50 शहरों में जी-20 से जुड़े कार्यक्रमों की तैयारी करना लक्ष्य है। इससे पर्यटन बढ़ेगा। इन कार्यक्रमों से भारत के पर्यटन स्थलों की दुनिया भर में लोकप्रियता बढ़ेगी। इस अभियान से मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिल सकता है। भारत में निर्मित उत्पादों की दुनिया भर में पहुंच बढ़ेगी। इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर होगा।

समिट से भारत की जी-20 देशों में छवि बेहतर होगी। भारत चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देगा अगर दुनिया भर के देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होते हैं। भारत को मेजबानी करके दुनिया को जोरदार पेश करने का मौका है।

कितनी चुनौतियां हैं?

जी-20 रूस, अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों से मिलकर बनता है। इंडोनेशिया में हुई समिट में रूस और यूक्रेन के संघर्ष का प्रभाव दिखाई दिया। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कार्यक्रम को छोड़ दिया। ऐसे में पुतिन को भारत में होने वाली समिट में शामिल करना भी कठिन होगा। भारत-रूस के संबंधों में हालांकि सुधार हुआ है। PM मोदी और पुतिन के रिश्ते कभी खराब नहीं हुए हैं। यही कारण है कि रूसी राष्ट्रपति समिट में शामिल होने की उम्मीद है। इसके अलावा, कार्यक्रम के दौरान कई देशों के प्रमुखों के बीच चल रहे द्वेष को कम करना भी मुश्किल होगा। साथ ही, दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है और ऊर्जा संकट का जवाब देना भी एक चुनौती से कम नहीं है।

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देशभर में कितनी तैयारी?

10 सितंबर तक जी-20 से जुड़े सभी कार्यक्रम भारत में ही होंगे। जम्मू-कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट तक अगले दस महीने में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। इस कार्यक्रम की थीम है “वसुधैव कुटुम्बकम है, अर्थात् धरती एक परिवार है।” भारत की विविधता को दिखाते हुए कार्यक्रम हो सकते हैं। ऐसे कार्यक्रम पहले भी चीन और इंडोनेशिया में हुए थे। इंडोनेशिया के 14 शहरों में करीब 85 कार्यक्रम हुए। वहीं, चीन के बीस शहरों में करीब 200 कार्यक्रम हुए। भारत में भी 200 कार्यक्रम किए जाएंगे।

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