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G-20 शिखर सम्मेलन में भारत का क्या योगदान है और इससे देश को क्या लाभ मिलेगा?

India में G20 शिखर सम्मेलन: 1997 में हुए एशियाई वित्तीय संकट ने जी20 की शुरुआत की। पहले इस बैठक में आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन बाद में और भी कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

Delhi में 2023 के G20 सम्मेलन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नवंबर 2022 में बाली में हुए शिखर सम्मेलन में जी20 की अध्यक्षता का हथोड़ा सौंपा गया। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कोविड के बाद के दौर में नई व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।” मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि भारत की जी20 की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और सक्रिय होगी। हम सब मिलकर जी20 को विश्वव्यापी बदलाव का प्रेरक बनाएंगे।भारत ने अध्यक्षता मिलने के बाद तुरंत तैयारियां शुरू कीं।

1 दिसंबर 2022 से पूरे देश में इससे जुड़े कार्यक्रम शुरू किए गए और 30 नवंबर 2023 तक चलेंगे। यानी जी20 सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में होने के बाद भी भारत में इससे जुड़े कार्यक्रम चलते रहेंगे। जी20 सम्मेलन क्या है और इसकी शुरुआत क्यों हुई? इससे पहले भारत की भूमिका बतानी चाहिए।

क्या है जी20?

G20, जिसका अर्थ है ग्रुप ऑफ ट्वेंटी, 20 देशों का समूह है। ये 20 देश हर साल एक सम्मेलन में एकत्र होते हैं, जिसमें दुनिया भर के आर्थिक मुद्दों के अलावा सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है। इस सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले देश का मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट मुद्दे पर सभी देशों को एकमत बनाना होता है।

G20 के सदस्य कौन-कौन से देश हैं?

G20 में 19 देश शामिल हैं: भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किस्तान, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ। अध्यक्ष देश हर साल कुछ देशों और संगठनों को आमंत्रित करता है।

इस बार भारत ने बांग्लादेश, ईजिप्ट, मॉरीशिस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मेहमान के रूप में बुलाया है। वहीं भारत की ओर से आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को जी20 के अध्यक्ष के रूप में अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के रूप में आमंत्रित किया गया है. यह आमंत्रण नियमित अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संस्थाओं (यूएयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठ

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G-20 सदस्य देशों का प्रभाव

जी20 के सदस्य देश दुनिया की 60% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन देशों का वैश्विक व्यापार में 75% और विश्व GDP में 85% हिस्सेदारी है।

G20 कब और क्यों शुरू हुआ?

जी20 को 1997 में हुए एशियाई वित्तीय संकट (1997 Asian Financial Crisis) के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बनाया गया था। शुरुआत में जी20 का ध्यान सिर्फ व्यापक आर्थिक मुद्दों पर था, लेकिन बाद में यह व्यापार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार को भी शामिल करने लगा।

इस समूह का महत्व 2007 में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान और बढ़ा। इस समूह में पहले वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर थे, लेकिन बाद में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल हुए। 2008 में इन देशों ने इस तरह वाशिंगटन में अपनी पहली बैठक की। 2009 और 2010 में दो जी20 बैठकें हुईं। अब तक जी20 की 17 बैठकें हुई हैं, जिसमें से 18 की मेजबानी भारत कर रहा है।

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भारत में जी20 शिखर सम्मेलन

1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक भारत जी20 का अध्यक्ष होगा। 16 नवंबर 2022 को जी20 बाली शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी20 की अध्यक्षता दी गई। 8 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री ने जी20 की थीम, “वसुधैव कुटुम्बकम” (वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर) का उद्घाटन किया। G20 के लोगो को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में बनाया गया है, जो चुनौतियों के बीच विकास और पृथ्वी-समर्थक दृष्टिकोण का प्रतीक है।

कार्यक्रम देश के उत्तरी छोर श्रीनगर से लेकर दक्षिण में तिरुवनंतपुरम और पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर पूरब में कोहिमा तक हैं। इस कार्यक्रम में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। इस कार्यक्रम के लिए देशभर में 56 स्थानों पर 200 से अधिक बैठके हो रहे हैं।

जी20 में भारत की भूमिका क्या है?

भारत को जी20 सम्मेलन में तीन स्तरों पर भाग लेना चाहिए।

पहला वैश्विक—भारत को इस विभाजित दुनिया में अग्रणी भूमिका निभाना है, जिसमें लंबे समय तक प्रभाव छोड़ना भी महत्वपूर्ण है। भारत भी विकासशील देशों के सरोकारों को आगे बढ़ाना और उनके मुद्दों को प्राथमिकता देना है।
भारत दक्षिण एशिया का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्रीय और वैश्विक देश है। इसलिए भारत को भी जी20 का हिस्सा नहीं होने वाले दक्षिण एशियाई देशों के हितों को बढ़ावा देना होगा।
तीसरी घरेलू: आज भारत विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को भारत की जरूरत है। ऐसे में भारत की दुनिया भर में बढ़ती हैसियत की घरेलू परिस्थितियों में पुष्टि करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है।

G20 में भारत किन मुद्दों पर जोर देगा?

भारत अपनी पूरी शक्ति के साथ दुनिया के 20 सबसे बड़े देशों में से एक है। भारत को मौका मिला है कि वह विकासशील देशों के एजेंडों का चैंपियन बनकर उभरे, प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति बनाने और सामूहिक कार्रवाई के लिए जोर डालने की अगुवाई करे। सीधे शब्दों में, यह भारत के बढ़ते महत्व को वैश्विक मंच पर दिखाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस सम्मेलन में चर्चा के दौरान भारत के प्रयासों पर चर्चा की उम्मीद है।

जलवायु संकट होगी चर्चा

भारत विश्व भर से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर बहस का नेतृत्व करने की उम्मीद करता था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहा है। इस साल जलवायु परिवर्तन ने भारत के कई राज्यों, जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, को बहुत नुकसान पहुँचाया है। मानव वस्तुओं को काफी नुकसान हुआ है। जलवायु परिवर्तन ने भारत के अलावा बहुत से देशों को प्रभावित किया है। COP27 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों को राहत देने के लिए एक “घाटा और नुकसान” फंड बनाने पर चर्चा हुई। भारत जी20 सम्मेलन में इस फंड को लागू करने पर चर्चा कर सकता है। साफ शब्दों में, भारत का ध्यान विकसित देशों को विकासशील देशों को उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता देने पर है।

आर्थिक विकास और वित्तीय नियंत्रण पर चर्चा

भारत दुनिया के लिए एकमात्र देश नहीं है, बल्कि एक विश्वव्यापी बाजार है, जहां दूसरे देशों ने अपनी दुकानों को खोला है। इसलिए भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हाल के वर्षों में भारत ने विकास को बढ़ावा देने के लिए कई आर्थिक सुधारों को लागू किया है। भारत दुनिया भर में सभी देशों को इसका लाभ मिल सके इसके लिए वित्तीय विनियमन क्षेत्र में अपने सदस्य देशों के बीच अधिक समन्वय के लिए जोर दे रहा है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उपायों की मांग को मजबूत कर रहा है।

डिजिटल फासले को कम करना

भारत एक प्रमुख डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा है और दुनिया की आधी आबादी को डिजिटल सुविधाएं नहीं हैं। सम्मेलन में भारत से सदस्य देशों के बीच टेक्नोलॉजी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अधिक सहयोग पर जोर देने की उम्मीद है। भारत भी अपने समावेशी डिजिटल क्रांति (JAM, जन धन-आधार-मोबाइल) का लाभ दूसरों को दे सकता है। UPI पेमेंट सिस्टम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।

भारत को G20 से क्या फायदा होगा?

भारत की आजादी को 76 वर्ष हो चुके हैं। इस दौरान देश ने बहुत कुछ हासिल किया है। आज हम कई क्षेत्रों में टॉप-5, कई में टॉप-3 और कुछ में टॉप पर हैं। भारत इसके बावजूद विकासशील देशों में शामिल है। इसलिए भारत जी20 में अपनी पहचान को और बेहतर ढंग से दिखा सकता है।

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पीएम मोदी का दूसरा लक्ष्य है कि 2047 में भारत अपनी आजादी के सौ वर्ष पूरे करेगा और एक विकसित देश होगा। भारत को विश्वव्यापी नेता बनने के लिए पूरी तरह तैयार होना चाहिए। भारत ने कई बार दिखाया है कि कम संसाधनों के बावजूद विकसित देश अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाते हैं।

भारत, चाहे मंगलयान हो या कोविड महामारी में 140 करोड़ लोगों की रक्षा करना हो या चंद्रयान-3, सभी में अग्रणी है। भारत दुनिया के बाकी देशों के साथ मिलकर काम करने से पृथ्वी की सुरक्षा और मानव समाज की वृद्धि में तेजी ला सकती है। भारत का जी20 लक्ष्य भी यही है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, या एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य, भारत का G20 अध् यक्षता थीम भी है।

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