इस मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे अष्ट धातु और कावेरी नदी से निकाली गई मिट्टी से बनाया गया है.
नृत्य करते नटराज की मूर्ति को थंजावुर ज़िले के स्वामीमलाई से आने वाले तीन भाईयों ने बनाया है.
देवसेना स्थापति के परिवार में चोल राजवंश के काल से ही मूर्ति बनाने की परम्परा रही है.
उनके तीन बेटे राधाकृष्ण स्थापति, श्रीकंध स्थापति और स्वामिनाथ स्थापति ने इस नटराज मूर्ति को बनाया है.
मूर्तियों की एक ख़ासियत है इनके निर्माण में कावेरी नदी की ख़ास सिल्ट मिट्टी का इस्तेमाल.
10 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस मूर्ति को जी20 शिखर सम्मेलन से 10 दिन पहले ही स्वामीमलाई से दिल्ली लाया गया.
SHARE FOR MORE STORIES