सेंगोल क्या है आइए जानते हैं इसका इतिहास
Sengol को सामान्य भाषा में राजदंड कहा जा सकता है। ये छड़ी जैसा दिखता है जो नीचे से पतला और ऊपर की ओर मोटा होता है।
इस पर सुंदर नक्काशी होती है और सबसे ऊपर की ओर नंदी की प्रतिमा होती है।
यह राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और प्रजा के लिए राज्य के प्रति समर्पित रहने का प्रतीक भी रहा है.
आजादी से जुड़ा है सेंगोल का आधुनिक इतिहास
जिस सेंगोल की स्थापना नई संसद में की जा रही है, उसका आधुनिक इतिहास भारत की आजादी के साथ जुड़ा हुआ सामने आया है
जब तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया.
वहीं प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो सेंगोल के सूत्र चोल राज शासन से जुड़ते हैं,
जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा,नए बने राजा को सेंगोल सौंपता था
यह सेंगोल राज्य का उत्तराधिकार सौंपे जाने का जीता-जागता प्रमाण होता था और राज्य को न्यायोचित तरीके से चलाने का निर्देश भी.
राजा को धातु की एक छड़ी भी सौंपी जाती थी, जिसे राजदंड कहा जाता था
राजदंड का प्रयोग मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) में भी हुआ करता था.
मौर्य सम्राटों ने अपने विशाल साम्राज्य पर अपने अधिकार को दर्शाने के लिए राजदंड का इस्तेमाल किया था.
राजदंड सबसे अहम तथ्य और शब्द रहा है, जिसे राजा और राज्य की शक्तियां तय करने की क्षमता मिली हुई है.
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