वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पेश नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट में सभी तबकों को साधने का प्रयास किया। उन्होंने जहां एक तरफ मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर राहत देने की घोषणा की, वहीं लघु बचत योजनाओं के तहत निवेश सीमा बढ़ाकर बुजुर्गों, पेंशनभोगियों और नई बचत योजना के जरिये महिलाओं को भी सौगात दी है। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे पर खर्च में 33 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि करने का भी प्रस्ताव किया है। कुल मिलाकर सीतारमण ने राजकोषीय सूझबूझ के साथ सभी तबकों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने का भरसक प्रयास किया है। नई कर व्यवस्था के तहत अगले वित्त वर्ष में एक अप्रैल से व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति की आय सात लाख रुपये है, उसे कोई कर नहीं देना होगा।
अबतक यह सीमा पांच लाख रुपये थी। साथ ही कर ‘स्लैब’ को सात से घटाकर पांच किया गया है। साथ ही अधिभार की दर 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने के बाद कर की अधिकतम दर 42.7 प्रतिशत से घटकर लगभग 39 प्रतिशत रह जाएगी। वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत दी। इसके तहत वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गयी है। वहीं मासिक आय योजना के तहत जमा सीमा बढ़ाकर नौ लाख रुपये की गयी है।
महिलाओं के लिये अलग से नई बचत योजना महिला सम्मान बचत पत्र की घोषणा की गयी। इसमें दो वर्ष के लिये दो लाख रुपये तक की बचत पर 7.5 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। हालांकि, बजट में पांच लाख रुपये वार्षिक प्रीमियम से अधिक की पॉलिसी के मामले में मिलने वाली राशि पर कर छूट की सीमा तय की गयी है। इसके तहत, एक अप्रैल, 2023 के बाद जारी उन सभी जीवन बीमा पॉलिसी (यूनिट लिंक्ड बीमा पॉलिसी या यूलिप के अलावा) की परिपक्वता राशि पर कर लगेगा, जिसका सालाना प्रीमियम पांच लाख रुपये से अधिक है। सीतारमण ने अपना पांचवां पूर्ण बजट ऐसे समय पेश किया जब वैश्विक चुनौतियों के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ रही है और सामाजिक क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने के साथ स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को प्रोत्साहन बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने हरित ऊर्जा और निर्यात को बढ़ावा देने के लिये मोबाइल फोन कल-पुर्जों तथा लीथियम बैटरी और अन्य ऐसे सामान के लिये पूंजीगत सामान पर सीमा शुल्क में कटौती की भी घोषणा की। यह अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। अगले साल फरवरी में अंतरिम बजट यानी लेखानुदान पेश किया जाएगा। चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के पश्चात पूर्ण बजट पेश किया जाएगा।
बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिये पूंजीगत व्यय लगातार तीसरी बार उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया गया है। इसे 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत बैठता है। यह वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले तीन गुना है। साथ ही सस्ते मकानों के लिये व्यय 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये किया गया है। सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”यह एक ऐसा बजट है जिसने वृद्धि के दोनों विचारों को खूबसूरती से संतुलित किया है। इससे पहले पूंजी निवेश मद में कभी भी दहाई अंक में वृद्धि की घोषणा नहीं की गयी थी, जबकि इस बार इस क्षेत्र में 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें राज्यों को दिए जाने वाले 1.3 लाख करोड़ रुपये शामिल है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से सड़कों और ऊर्जा सहित पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि की है। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ”इस बजट में पिछली बजट में रखी गई नींव पर सतत निर्माण करते हुए ‘भारत ऐट 100’ के लिये खींची गई रेखा पर आगे बढ़ते रहने की उम्मीद की गई है।” उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘चमकता सितारा’ है। चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान है जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक नरमी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है।
बजट में कुल व्यय 7.4 प्रतिशत बढ़कर 45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया है। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह चालू वित्त वर्ष के 6.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसका मतलब है कि सरकार को कुल 15.43 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेना पड़ेगा। सीतारमण ने कहा कि 2023-24 के बजट में सात प्राथमिकताएं रखी गयी हैं। ये हैं समावेशी विकास, अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, सक्षमता को सामने लाना, हरित वृद्धि, युवा शक्ति तथा वित्तीय क्षेत्र। बजट में पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन पर जोर के साथ कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। मझोले और छोटे उद्यमों के लिये कर्ज गारंटी को लेकर 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। रेलवे के लिये 2.40 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है। यह अबतक का सबसे अधिक पूंजीगत व्यय है। साथ ही 2013-14 में किये गये व्यय के मुकाबले करीब नौ गुना अधिक है।
बुनियादी ढांचा और उत्पादक क्षमता में निवेश बढ़ाने का मकसद वृद्धि और रोजगार को गति देना है। छोटे और मझोले शहरों (टियर दो और टियर तीन) में ढांचागत सुविधाएं तैयार करने के लिये शहरी बुनियादी ढांचा विकास कोष (यूआईडीआईएफ) बनाया जाएगा। बजट में ऊर्जा बदलाव यानी स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेजी से कदम बढ़ाने और शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिये 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत 4,000 मेगावॉट घंटा (एमडब्ल्यूएच) क्षमता की बैटरी भंडारण प्रणाली को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्त उपलब्ध कराया जाएगा। लद्दाख से 13,000 मेगावॉट बिजली के पारेषण के लिये व्यवस्था तैयार करने को लेकर 20,700 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। सस्ते मकान उपलब्ध कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत व्यय को 66 प्रतिशत बढ़कर 79,000 करोड़ रुपये किया गया है। बजट में बुनियादी ढांचे के तहत 50 अतिरिक्त हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और जलीय हवाईअड्डों को आधुनिक रूप दिया जाएगा। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के तहत राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय बनाया जाएगा। इसका मकसद सभी क्षेत्रों में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें उपलब्ध कराना है। मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने बजट के बारे में कहा, ”उच्च महंगाई और वैश्विक चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 के लिये कम राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सरकार की वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को बताता है।